नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशिद शोरा के खिलाफ लगे देशद्रोह के आरोपों को वापस लिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अदालत ने दिल्ली पुलिस को शेहला के खिलाफ लगे देशद्रोह के आरोपों को वापस लेने की इजाजत दे दी है। भारतीय सेना के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक ट्वीट करने के बाद शेहला रशीद के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था।
2019 में दर्ज हुआ था देशद्रोह का मामला
पुलिस सूत्रों ने बताया कि यहां की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को सेना पर ट्वीट करने के लिए जेएनयूएसयू की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद शोरा के खिलाफ 2019 के देशद्रोह के मामले को वापस लेने की अनुमति दी है।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने अभियोजन पक्ष द्वारा दायर एक आवेदन पर 27 फरवरी को यह आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी के सक्सेना ने शेहला रशीद पर मुकदमा चलाने के लिए अपनी मंजूरी वापस ले ली है।
यह मामला देशद्रोह, धर्म, भाषा, नस्ल, जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और दंगे भड़काने सहित अपराधों के लिए दायर किया गया था। इन आरोपों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
उपराज्यपाल ने स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दी
आवेदन में कहा गया है, “दिल्ली के उपराज्यपाल ने स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। एलजी ने 23 दिसंबर, 2024 को मंजूरी दी। शेहला के खिलाफ एफआईआर 2019 में नई दिल्ली के स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में अलख आलोक श्रीवास्तव नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) की पूर्व नेता शेहला पर अपने ट्वीट के माध्यम से विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था।
एलजी कार्यालय ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव दिल्ली पुलिस द्वारा पेश किया गया था और दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा इसका समर्थन किया गया था। 18 अगस्त, 2019 को शेहला के ट्वीट में कथित तौर पर सेना पर कश्मीर में घरों में घुसने और स्थानीय लोगों को “यातना” देने का आरोप लगाया गया था। सेना ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।